भीड़ में कुछ लोग हौसला खो देते हैं
मंज़िल करीब हो तो भी वो अपना रुख़ मोड़ लेते हैं
रह जाती है तो वो कशिश जो मंज़िल को चूमना चाहती थी
नाज़ुक मोड़ पे ही तो कम्भखत नाज़ुक रिश्ते तोड़ लेते हैं !!
मंज़िल करीब हो तो भी वो अपना रुख़ मोड़ लेते हैं
रह जाती है तो वो कशिश जो मंज़िल को चूमना चाहती थी
नाज़ुक मोड़ पे ही तो कम्भखत नाज़ुक रिश्ते तोड़ लेते हैं !!