Thursday, March 18, 2010

Majnu Ki Halat

उनपे मेरा दिल क्या लूटा मैं तो लूट ही गया
एक 1.50 रुपये की कटिंग छाई पीता था वो भी अब छूट ही गया

अब आलम ये है की मैं ज़िंदा लाश की तरह रह गया हूँ
उधार की बाढ़ में मैं कोसो दूर तक बह गया हूँ

प्यार करने की इतनी बड़ी सज़ा मिलेगी ये सोचा ना था
एक सॉफ्टवेर इंजिनियर को इस खाली जेब ने इतना नोचा ना था

ये सब शुरू हुआ तीन साल पहले जब वो मेरी कंपनी इंटरव्यू देने आई थी
उसको देखते ही मॅन में मैने ख़याली पुलाओ पकाई थी

बड़ी हितचकिचाहट से मैने उनसे बात चलाई थी
उनकी हर ना में भी हुमने हाँ में हाँ मिलाई थी

बातो का सिलसिला यूँ चला की करीम चाचा का होटेल आशियाँ बन गया
ऑफीस के बाद तो वो हमारे मुलाक़ातों का एक मुकाम ही जैसे बन गया

पर कम्बख़त इन लड़कियों को जेब से जाता पैसा टॉम क्रूज़ नज़र आता है
जितना ज़्यादा बिल आए उतना ही इनका चेहरा खिलखिलता है

इस केस में तो वो मुझे से ज़्यादा कमाती थी
अपना छोड़ मेरा भी महीने की आधी सॅलरी खा जाती थी

जल्द ही दोस्तों से उधारों का सिलसिला शुरू हो गया
प्यार में लूटने वालों की भीड़ का मैं एक गुरु हो गया

लोग तो भोज में पंगत खाते हैं मैं तो अभी से खा रहा हूँ
हर दूसरे दिन ही मैं पंगत खाने कोई ना कोई मंदिर जा रहा हूँ

इस लूटे इंसान को लूटनेवाले ने जल्ढी अलविदा कह दिया
मैने ये ग़लती डूबरा ना करने की कसम खा वो दर्द सह लिया

लोग बिछड़ने पे मातम मानते हैं पर मैं खुशी माना रहा हूँ
ये शुभ काम मैने पहले क्यूँ नही किया इसका गम बना रहा हूँ

मजनुओ मेरी इस हालत की एक ही वजह है और वो है एक नारी
पुरुष समिति की ओर से जनहित में जारी

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